आज देखा मैंने चिड़िया को घोंसला बनाते
पतली पटरी पे घास बिछाते।
खो गई है वो खुशी पेड़ की ,फिर भी
देखा आशिया सजाते।
जो मजा नीम,आम की डाली पे,वो मेरे घर में कहा
जो मजा सूखी घास में ,वो हरी घास में कहा।
आज फिर देखा मैंने चिड़िया को आँशू बहाते
दूर-दूर से तिनका लाते।
शायद हमी ने उसे भुला दिया
बिल्ड़िंग ,टॉवर लगा दिया।
वो बबूल के पेड़ सुला दिया
खुद को पृथ्वी का मालिक बना लिया।
छोटा सा हिस्सा था उसका
उसे भी अपनी जागीर बना लिया,
क्या जबाब देंगे खुदा को,
की उस मासुम को हमने ज़हर पिला दिया।
प्यार की भूखी थी वो ,आँगन में आती थी
आज हमने उस आँगन को ही तुडवा दिया।
अफ़सोस,पत्थर के आशिया में
नन्ही सी जान को टकराते देखा।
ज़हरीले आसमान में तड़पड़ाते देखा ,
गदबेला को घर में आते देखा।
उस प्यारी सी चिड़िया को घर बनाते देखा।
-GAURAV Y SINGH
nice lines
ReplyDeletenice lines
ReplyDeletethank you bhaiya
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