विरासत :जो लोगो से मिला , मेरी कविता

                                       विरासत: जो लोगो से मिला 
जब सितारे गर्दिश में थे ,नागवारा किया लोगो ने।
 टूटे दिल से जो अल्फ़ाज़ निकले उस पे सवाला किया लोगो ने।
 न पता रंजिश थी कैसी ,हर मोड़ पे आजमाया लोगो ने। 
 देख न सका जौहर कोई, हर बार सितम किया लोगो ने। 

           
            हँसते हँसते दगा  देना सीखा दिया लोगो ने मुझे।
            खिले हुए फूल को मुरझाना सीखा दिया लोगो ने  मुझे। 
            समन्दर को चिंगारी से जलना सीखा दिया लोगो ने मुझे। 
            कच्ची मिट्टी का घड़ा था टेढ़ा पका दिया लोगो ने मुझे  ।


अपनी गुड़िया को मार कर मुस्कुराना सीखा दिया लोगो ने मुझे। 
क्यों इल्ज़ाम दू खुद को बर्बादी का आँसू बहाना सीखा दिया लोगो ने मुझे। 
किसी की जान ले कर अपनी जान बचाना सीखा दिया लोगो ने मुझे। 
किसी हँसते हुए को रुलाना सीखा दिया लोगो ने मुझे। 


         अफसोश किसी पराये के लिए जान देना नही सिखाया लोगो ने मुझे।
         विष पीकर अमृत पिलाना नहीं सिखाया लोगो ने मुझे। 
         ऐ  खुदा ,माफ़ करना पर माफ़ी मांगना नहीं सिखाया लोगो ने मुझे। 


                                                               -GAURAV  Y SINGH
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