तेरी याद
ये बहतीं फिजाएँ झोंक देती है तुम्हारी तरफ
ये लड़खड़ाते कदम चल पड़ते है तुम्हारे तरफ
न जाने कैसी ये याद है खींच लाती है तुम्हारी तरफ।
सारा ग़म भूल जाता है महखाने में
तेरा नूरानी चेहरा नजर आता है महखाने में
यू जमाना शराबी ना कहे मुझे ,
तेरी काशिश नजर आती है मेरी आँखों में।
नजरें झुका के चलू तो बेवफा बताते है लोग मुझे
हर गली ,मोड़ पे पागल समझ मुस्कराते है लोग मुझे।
कहीं कब्र से न उठा दू तुझे ,महखाने को ही कब्रगाह बताते है
लोग मुझे।

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